चतुरसेन की कहानियाँ दो। बस ससे वहाँ से किसी तरकीब से मँगवा लिया गय, और उसका विवाह उसकी पसन्द के एक आदमी से कर दिया गया। राजो नामी एक २३ वर्ष की स्त्री थी। वह व्यभिचा- रिती हो गई थी। उसे कोई उपदेशक फुसला लाया था। कुछ दिन वह उसके घर में रही। पीछे न जाने कैसे उसे शराब पीने की आदत पड़ गई। वह वहाँ से भाग आई और आश्रम में पहुँचाई गई। यहाँ हमारे आदरणीय डॉक्टर साहब ने उसे एकान्त मे बहुत-कुछ धर्मोपदेश दिया और उसे सुशिक्षा दी। पर वह दुश डॉक्टर साहब के ऊपर ही कुकर्म का दोषारोपण करने लगी। इसके बाद वह स्थिर हुई और उसका ब्याह एक योग्य पुरुष के साथ कर दिया गया। उसने उसके साथ असद् आचरण किया, तो वह फिर आश्रम में आ गई। आश्रम की तरफ से उस पुरुष पर मुकदमा चला दिया गया। उसने एक हजार रुपए देकर डर कर सुलह कर ली। आधा उसमें से प्राश्रम को दिया गया। अब फिर उस स्त्री का विवाह किया जायगा। इन उदाहरणों को सुन कर सभा में हलचल मच गई। और लोग बारम्बार धन्यवाद देने लगे । सभापति की प्रशंसाओं के पुल बंध गए। और संस्था की सदुपयोगिता की भूरि-भूरि प्रशंसा की गई। इसके बाद ही चन्दे की वर्षा शुरू हुई और मेज पर रुपयों और नोटों का ढेर १०६
पृष्ठ:पीर नाबालिग़.djvu/१२२
दिखावट