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पृष्ठ:पीर नाबालिग़.djvu/६७

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जेन्टिलमैन 'जी हाँ एक कपड़े का मार्केट मेरी निजू सम्पत्ति है। परन्तु उसके किराए की आमदनी बहुत कम है। 'कम? अजी बम्बई में किया कम ? आप यह क्या "शायद आपको मालूम नहीं कि बम्बई में एक ऐसा कानून बना हुआ है कि सन् १८१६ से प्रथम के जो किरायेदार हैं, उन्हें न मालिक निकाल सकता है न किराया बढ़ा सकता है वे मकान के मोरूसी मालिक बने बैठे हैं। सेठजी ने गम्भीरता से कहा। "ठीक, परन्तु सन् सोलह और अब के किरायों में तो जमीन श्रासमान का अन्तर है ?" जेन्टलमैन ने सेठजी की आँख से आँखें लड़ाकर कहा। "बेशक, सन १६ में जो मकान ५०) रुपये किराए का था और अब तक है, नया किराएदार उसके ३००) रु० किराया दे सकता है. अफसोस तो यह है कि किराएदार तो हजारों रुपये पगडो लेकर दूसरों को मकान 'कराए पर दे सकते हैं, परन्तु मालिक मकान नहीं ! असल में मालिकों की मौत है ?” यह कहकर सेठ जी ने ठंडी सांस भरी। जेन्टलमैन ने चाय का घूट पीते हुए कहा-"क्या किसी रीति से भी मकान खाली नहीं कराया जा." "एक ही हालत में, यदि मकान को गिराकर फिर से बनाने का म्युनिसिपैलिटी नोटिस दे।" "हूँ समझा "-जेन्टलमैन ने भ्रकुटी से बल डालकर सिर हिलाया! फिर कहा-"क्या आपको यकीन है कि आपका : सब मार्केट खाली हो जाय तो आपको नए किराएदार तुरन्त मिल