पृष्ठ:पीर नाबालिग़.djvu/६८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

चतुरसेन की कहानियाँ "वाह ? मिल जाएंगे क्या ? तुरन्त मेरो अस्सी हजार रुपए महावार की आमदनी बढ़ जायगी।" अस्सी हजार रुपए माइधार की ?" कुछ देर मिजेन्टलमैन ने सोच कर कहा-'क्या आप एकाध दूकान मुझे दे सकते हैं ?" "नै श्रापको तीन दूकान दे सकता हूँ, वे मेरी अपनी दूकानें हैं ! "क्या वे सब कपड़े की हैं ?" जी हाँ ?" "उनमें कितना माल है ? "लगभग एक लाख रुपए का। हम लोग गोदाम अलग "ठीक, श्रापको अगले वर्ष मार्च महीने से यह अस्सी हजार रुपए माहवार की नई आमदनी मिलने लगेगी ? "क्या आप सच कह रहे हैं ?" "झूठ से फायदा ?" "यदि ऐसा हुआ तो मैं आपको नकद दस लाख रुपए जेन्टलमैन ने हँस कर कहा-देखा जायगा । हाँ, आप एक मुश्त भी तो कुछ रकम चाहते हैं !" “जी हाँ चाहता तो हूँ }" “एक करोड़ रुपया काफी होगा?" "क्या आप मजाक कर रहे हैं ?"