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पृष्ठ:पीर नाबालिग़.djvu/६९

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जेन्टिलमैन "नहीं, यह रुपया आपको श्राज से तीन मास के अन्दर मिल जायगा ।" सा मित्र आश्चर्यचकित थे। जेन्टलमैन ने चाय का प्याला आगे को सरका कर उटते हुए कहर--"अच्छा अब गुडवाई, मैं आपको एक हफ्ते बाद बम्बई में मिलूंगा, मि० दास भी साथ होंगे। और मिस्टर सिन्हा, आपका छोटा सा नुस्खा भी वहीं लिख दिया जायगा । जेन्टलमैन सबको आश्चर्य-सागर में गोता लगाते छोड़, सव से हाथ मिला, मुस्कुराते हुए चल दिए । तीनों मित्र भी अपनी राह लगे। ३ एक सप्ताह बाद चारों मित्र बम्बई में सेठ जी के एकांत कमरे में बैठे थे। चाय और जलपान उनके सन्मुख था। सबकी दृष्टि जेन्टलमैन के मुख पर थी। जेन्टलमैन ने गम्भीर मुद्रा से कहा- देखिए सेठजी, आप क्या सोलह आने मेरा विश्वास करते हैं ? "तब आप बचन दीजिए कि मैं जो कहूँगा आप करेंगे।" "ऐसा ही होगा।" "मैं आशा करता हूँ कि हमारे दोनों मित्रगण भी हमारे उद्योग में सम्मिलित रहेंगे और लाभ उठाएँगे?" दोनों ने उत्सुकता से कहा-"अवश्य ।" जेन्टलमैन ने मुस्कुरा कर कहा-डा० सिन्हा साहेब का छोटा सा नुस्खा उसी में बन जायगा।"