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पृष्ठ:पीर नाबालिग़.djvu/८०

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. नीलगिरि पर्वत की भव्य अशो पर चारों दोस्त एकत्रित थे। अंगरेजी होटल के एक ठाठदार कमरे में चारों दोस्त टेबिल पर बैठे थे। सेठजी ने कहामि जेन्टलमैन, आपकी सूझ-बूक

का मैं कायल हो गया, आपका दिनारा सचमुच हीरा है. 129 मिः जेन्टलमैन ने कहा- सेठजी, आपने विश्वास किया और फल्द पाया। याद रखिए, मैं एक जेन्टलमैन हूँ, जो कहता हूँ, कर दिखाता हूँ।" 'बेशक आप एक सच्च जेटलमैन हैं। सेठजी ने विश्वस्त स्वर में कहा। मि. जेंटलमैन ने सिगरेट का कश फेंक कर कहा-'कहिए मि० दास, इस सौदे में कितना नहा रहा ?' "दो लाख सेठजी को मिले और एक लाख बाईस हजार हम तीनों में से प्रत्येक को मिले।" 'अब मेरा प्रस्ताव है सेठ जी-कि ये तो छोटे-मोटे व्यापार हुए । आप चाहें तो मैं करोड़ों रुपया आपके चरणों में डाल सकता हूँ" "मैं हर तरह आपके आधीन हूँ। आप कहें तो कुएँ में कूद पड़े।" "वाह, क्या मैं आपको कुएँ में उतारूंगा ? जेन्टलमैन खोर से हँस पड़े। इसके बाद उन्होंने कहा-"सुनिए, इस समय देश-भक्ति और देश-सेवा की आवाज देश में गूंज रही है।" तीनों मित्र ध्यान से सुनने लगे। मि. जेंटलमैन ने कहा देश भर में महादरिद्रता का राज्य परंतु इसका कारण यह नहीं कि देश में धन नहीं। देश में