पृष्ठ:पुरातत्त्व प्रसंग.djvu/११८

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द्रविड़जातीय भारतवासियों की सभ्यता की प्राचीनता

अब तक पुरातत्त्व-विद्या के अधिकांश ज्ञाताओं का ख्याल था कि भारतवासी हिन्दुओं या आर्य्यो ही की सभ्यता बहुत पुरानी है। उनका यह अनुमान विशेष करके ऋग्वेद पर, अशोक के अभिलेखों पर, और मध्य- एशिया में प्राप्त हुई पुस्तकों तथा अन्य कुछ वस्तुओं पर अवलम्बित था। इस प्रकार वे जिन सिद्धान्तों पर पहुँचे थे उनका सार यह है-

आज से कोई चार पाँच हजार वर्ष पूर्व भारत में कुछ काले चमड़े के असभ्य आदमी रहते थे। उनकी संज्ञा कोल और द्राविड़ थी। वे निरे जंगली थे। न वे पढ़ना लिखना जानते थे और न वे किसी और ही सभ्यता- सूचक कला-कौशल से परिचित थे। वे झोपड़ों में रहते और वन्य पशुओं का आखेट करके उनके मांस से किसी तरह अपना पेट पालते थे। जिस समय भारत के इन आदिम निवासियों की यह दशा थी उसी समय मध्य- एशिया में गोरे चमड़े की एक जाति रहती थी। वह बहुत कुछ सभ्य थी; खेती करना जानती थी; आत्मा