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पृष्ठ:पुरातत्त्व प्रसंग.djvu/११९

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द्रविड़जातीय भारतवासियों की स० की प्रा०


ग्रन्थ मौजूद है उनकी सभ्यता क्या इतनी ही पुरानी है। तिलक महाराज तो उसे लाखों वर्ष की पुरानी बता गये हैं और इस बात को उन्होंने ऋग्वेद के मन्त्रों ही से सिद्ध करने की चेष्टा की है। कुछ पुरातत्त्वज्ञों के भाग्य से अभी हाल ही में हरप्पा और मोहन-जोदरो में जमीन के भीतर से कुछ बहुत पुरानी चीज़ें निकल आई। वहीं पर कुछ पुराने धुस्स या टीले थे। पुरातत्त्व महकमे के अधिकारियों ने उन्हें खुदाना शुरू किया तो भीतर से मिट्टी के बर्तन, मिट्टी की सीलें (उप्पे), शंख, धातुओं की अंगूठियाँ आदि निकली। इसी तरह की बहुत सी चीज़े इराके अरब के प्राचीन सुमेर-राज्य और बाबुल के खँडहरों में पहले ही निकल चुकी थी। इस पर योरप वे प्रत्रतत्त्व-कोविदों में हलचल मच गई। उन्होंने कहा, ये सब चीजें एक ही सभ्यता की सूचक हैं। अतएव जो लोग किसी समय प्राचीन सुमेर-राज्य और बाबुल में रहते थे उन्हीं के भाई-बन्द भारत में भी रहते थे। उन लेखों को पढ़ कर भारतीय पुरातत्व के प्रधान अधिकारी मार्शल साहब ने भी उनकी पुष्टि की। आपने भी यहाँ, इस देश के, अखबारो में वही वात दुहराई और बड़ा हई प्रकट किया। आपने अपने वक्तव्य में यह लिखा कि भारतीय आर्य्य आज से पाँच हजार वर्ष पहले भी खूब सभ्य हो गये थे। ये महलों में रहते थे। सोने-चांदी के