सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:पुरातत्त्व प्रसंग.djvu/१५२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१४८
पुरातत्त्व-प्रसङ्ग


भी इन्हीं के वंशन हों। किन्तु विशुद्ध नेग्रिटो जाति अब केवल अन्दमन-द्वीपो ही में रह गई है। हजारों वर्ष बीत जाने पर भी, अब भी, अन्दमनियों में उनके पुराने आचार-व्यवहार वैसे ही पाये जाते हैं। दूसरे देशो और द्विपो में या तो इन लोगों के वंश का सर्वथा ही नाश हो चुका है या दूसरी जाति के लोगों में इनके मिल जाने से, नीर-क्षीर-वत् इनका अब पता ही नहीं चलता। जान पड़ता है, किसी दैविक दुर्घटना के कारण, समुद्र के नीचे पृथ्वी का बहुत-सा भाग डूब गया। पर इनका निवास स्थान बच गया। इससे इस जाति के लोग जो अन्य स्थानों में रहते थे वे नष्ट हो गये। पर ये लोग बच गये। किसी समय एशिया, आस्ट्र लिया आदि देश और द्वीपपुआ सब आपस में संलग्न थे। बीच बीच में पृथ्वी के डूब जाने से इन सबको स्थिति की वह दशा हुई जिसमें ये आज-कल देखे जाते है।

अन्दमन के आदिम असभ्य मनुष्य खर्वाकृति-बहुत ठिगने-होते हैं। उन्हें देख कर विदेशियों के मन में हौतूहल उत्पन्न हुए बिना नहीं रहता। उँचाई में ये लोग 1४ फुट १० इञ्च से अधिक नहीं होते। स्त्रियों की उँचाई पुरुषो से भी तीन चार इन्च कम होती है। तथापि इनका सरीर गँठा हुआ और हृष्ट-पुष्ट होता है।

अन्दमनियों का रङ्ग कोयले के सहश काला, बाल