अन्दमनी स्त्री और पुरुष दोनों ही एक प्रकार को विलक्षण गोदना गुदवाते हैं। शङ्ख या सीप आदि के तेज़ टुकड़ो से ये अपने हाथ, पैर या शरीर के और अङ्गों से मांस के छोटे छोटे टुकड़े काट कर फेक देते हैं। ये टुकड़े एक ही सीध में, थोड़ी थोड़ी दूर पर, काटे जाते हैं। कभी कभी कुछ विशेष आकार के भी मांस-खण्ड काट लिये जाते हैं। ऐसा करने से काटी हुई जगह में घाव हो जाते है। घाव अच्छे हो जाने पर उन जगहों का चमड़ा चिकना और मुलायम हो जाता है। उनके रङ्ग में भी कुछ विशेषता आ जाती है। बस, इसी को वे शोभावर्द्धक समझते हैं। यही उनका गोदना है। घावों की जगह ये लोग रंग वगैरह कुछ नहीं भरते। रंगों का ज्ञान ही इन्हें नहीं। वे इनके लिए अप्राप्य भी हैं।
ये लोग बड़े बुशल शिकारी है। शिकार ही से ये
अपना जीवन-निवाह करते हैं। जंगली सूअरों को ये लोग
तीर या भाले से मारते है। नदियो के मुहानो में ये
टरटल नामक मछली का भी शिकार करते है। परन्तु
कैसे ? तीर कमान से ! डोंगी पर ये सवार होते हैं। उस
के अगले भाग पर, कमान पर तीर चढ़ाकर और अपने
शरीर को समतुलावस्था में रखकर, ये निस्तब्ध खड़े रहते
हैं। बस, जहाँ पानी के भीतर कही मछली की
झलक इन्हें देख पड़ी, तहाँ तत्काल ही इनके कमान