वे लोग उससे पूछ पाछ करते हैं। तब वह बहुत लज्जा
और सङ्कोच प्रकट करता है और विवाह करने की
अनिच्छा प्रकट करता है। वह जंगल को भाग जाता है।
वहाँ से उसके मित्र उसे जबरदस्ती पकड़ लाते हैं। और
वधू की झोंपड़ी के भीतर ले जाकर उसकी गोद में वर
को बिठा देते हैं। यह करके उस जोड़ी को वे उसी
झोपड़ी में छोड़ देते है। बस, विवाह-बन्धन पूर्णता को
पहुँच जाता है।
ये लोग नाचते खूब है। पर स्त्रियों को नाचने की आज्ञा नहीं। केवल पुरुष ही नृत्योत्सव में शरीक होते हैं। ये लोग हाथ नंचा नचा कर कूदते हुए चक्कर काटते हैं। यही इनका नाच है। नृत्य के समय इनकी स्त्रियाँ पंक्ति बाँध कर वहीं बैठ जाती हैं और अपनी रानों पर हाथ पटक पटक कर ताल देती रहती हैं। इनके नाच में एक नेता या सूत्रधार होता है। वह, बीच बीच में, अपने पैर की ऐंडी से, लकड़ी के एक ढोलक पर, टड्कर-शब्द करता जाता है। वह बीच में रहता है। नर्तक उसी के चारों ओर नाचते हुए चक्कर काटते है। नाचते समय ये लोग मुंह से नाना प्रकार के चित्र-विचित्र शब्दं करते रहते हैं। उसी को यदि, आप इनका गायन कहना चाहें तो कह सकते हैं।
अन्दमनियों के धर्म्म की कुछ भी और-ठिकाना