यह व्यापार अत्यन्त प्राचीन काल से होता चला
आया हो। क्योंकि जातको में बहुत से ऐसे किस्से हैं
जिनमें समुद्र-पार के सुदूरवती देशों की सङ्कटापन्न
यात्राओं का उल्लेख है। उनमें पश्चिमी किनारे के सपरिख
(सपारा) और भरुकच्छ ( भडोच ) आदि अत्यन्त
प्राचीन बन्दरगाहों का भी जिक्र है।"
समुहबनिज-जातक में लिखा है कि किसी गाँव में
बहुत से बढ़ई रहते थे। उनसे किसी ने बहुत सी चीजें
बनाने को कहा और उनकी कीमत भी पेशगी दे दी।
परन्तु बढ़इयों की नीयत खराब हो गई। इस कारण
उन्होंने चुपके चुपके एक जहाज बनाया। उस पर चढ़
कर वे लोग चल दिये। उन्होने समुद्र के बीच किसी
टापू में एक वस्ती बनाई और वहीं बस गये। वलहास्स-
जातक में कहीं के पाँच सौ व्यापारियों का जिक्र है जो
एक कमजोर जहाज पर सवार थे। जहाज, टूट गया
और वे सब लोग समुद्र में मग्न हो गये; परन्तु एक
अद्भुत घटना घटित होने से बच गये। सप्पारक-जातक
में लिखा है कि किसी समय सात सौ व्यापारियों ने
समुद्र-द्वारा एक बड़ी ही भयङ्कर यात्रा की थी। उनका
जहाज, मरकच्छ-चन्दरगाह से रवाना हुआ था। इस
जहाज का माँझी अन्धा होने पर भी जहाज चलाने में
पड़ा निपुण था। महाजनक-जातक में एक राजकुमार का