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पृष्ठ:पुरातत्त्व प्रसंग.djvu/७१

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महात्मा अगस्त्य की महत्ता

अगस्त्य के विषय में जो बातें ज्ञात हुई हैं वे यद्यपि कहानियाँ सी जान पड़ती हैं, तथापि शिलालेखों, मन्दिरों, मूर्तियों और परम्परा से सनी गई कथाओं के आधार पर मालूम यही होता है कि इनमें तथ्य का कुछ न कुछ अंश जरूर है। जावा, कम्बोडिया और भारत के प्राचीन ग्रन्थों और शिलालेखों में जिस अगस्त्य का उल्लेख है, सम्भव है, वह एक ही व्यक्ति न हो--जुदे जुदे कई व्यक्ति एक ही नाम के हो; क्योंकि अगस्त्य- ऋषि का गोत्र भी तो प्रचलित है। हो सकता है कि उस गोत्र के अन्य लोग भी अगस्त्य ही के नाम से प्रसिद्ध हुए हों। तथापि इसमें सन्देह नहीं कि अगस्त्य नामधारी भारतवासियों ने अपने देश के दक्षिणी भागों तथा कम्बोडिया और जावा आदि दूर देशो में भारतीय- धर्म का प्रचार करके वहां के निवासियों को भारतीय सभ्यता प्रदान की।

कितने परिताप की बात है कि उन्हीं अगस्त्य के देशवासी हम लोग अब कूपमण्डूक बनकर दुर्गति के गत में पड़े हुए सड़ रहे हैं। (प्रबुद्ध भारत से )

[दिसम्बर १९२६