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पृष्ठ:पुरातत्त्व प्रसंग.djvu/७६

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पुरातत्त्व-प्रसङ्ग


चीन के पहले सुङ्गवंश के इतिहास में लिखा है कि ४३५ ईसवी में जावा-नरेश श्रीपाद-धारावर्म्मा ने अपने दूत के द्वारा चीन के राजाधिराज के पास एक पत्र भेजा था। छठे शतक के एक अन्य चीनी इतिहास में लिखा है कि जावा के निवासी कहते है कि इनके राज्य की स्थापना हुए ४०० वर्ष व्यतीत हए।

मालूम होता है कि छठे शतक के अन्त में पश्चिमी जावा के राज्य का पतन होगया और मध्य-जावा मे एक नये ही राज्य की स्थापना हुई। चीन के ऐतिहासिक ग्रन्थों में लिखा है कि मध्य-जावा में कलिङ्ग-नामक राज्य का उदय हुआ। उनमें यह भी लिखा है कि उस राज्य से तथा बाली से भी, ६३७ और ६४९ ईस्वी के बीच कई राजदूत चीन को गये और वहाँ के राजेश्वर के सम्मुख उपस्थित होकर उन्होंने अपने अपने देश के स्वामियों के पत्र उसे दिये। ६७४ ईसवी में कलिङ्ग के राजासन पर सीमा नाम की एक रानी आसीन हुई। उसका राज्य राम-राज्य के सदृश था। प्रजा का पालन उसने पुत्रवत् किया--"चोरी" का शब्द केवल कोश मे रह गया--

वातोऽपि नाश्वसयदशुकानि

कोलम्बयेदाहरणाय हस्तम्।

उस समय सुमात्रा के पश्चिमी-समुद्र-तटवर्ती प्रान्त में