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पृष्ठ:पुरातत्त्व प्रसंग.djvu/८३

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सुमात्रा, जावा द्वीपों में प्रा०हिं०सभ्यता


के कवियों ने "कवी" भाषा के साहित्य की बहुत उन्नति की। वजय नामक राजा के आश्रित कवि त्रिगुण ने, ११०४ ईसवी में, सुमनसान्तक और कृष्णजन नामक प्रसिद्ध काव्यों की रचना की। ११२० ईसवी के आस- पास, कामेश्वर नामक राजा के समय में, पू-धर्मज नाम के कवि ने स्मरदहन नाम के काव्य का निर्माण किया। इस राजा का विवाह जाङ्गल-देश की राजकुमारी चन्द्र- किरण के साथ हुआ था।

सन् ११३५ और ११५५ ईसवी के बीच, केदिरी- राज्य के सिंहासन पर जयवय नाम का राजा आसीन रहा। उसने बड़ी ख्याति पाई। उसके राज्यकाल के सुखैश्वर्य के वर्णन प्राचीन पुस्तको में लिखे हुए पाये जाते हैं। उसका राज्य धर्म्म-राज्य माना गया है। उसके समय में भारत युद्ध और हरिवंश-नामक ग्रन्थो का उदय हुआ। भारत- युद्ध का वर्णन प्रथम पुस्तक में इस तरह किया गया जैसे वह जावा ही में हुआ हो और कौरव-पाण्डवों के बदले वहीं के नरेशों ने आपस में युद्ध किया हो। लिखा है कि जयवय राजा इतना प्रतापी और पराक्रमी हुआ कि उसने सुवर्णद्वीप ( सुमात्रा) तक को जीत कर अपने राज्य में मिला लिया। यह राजा वैष्णव था।

११२९ ईसवी में कैदिरी-नरेश को चीन के राजरा- जेश्वर ने "राजा" की उपाधि से अलंकृत किया। उस