पृष्ठ:प्रतापनारायण-ग्रंथावली.djvu/१०७

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इनकमटक्स विस्तृत हैं। अब बतलाओ, पाठकगण ! इनकमटैक्स का कोषस्थ अथं ठीक है वा नहीं ? नहीं, इसका अर्थ यों न लगेगा। ___ अंग्रेजी व्याकरण बोलो, उसमें लिखा है कि 'इन', 'अन' और 'डिस' किसी शब्द के प्रथम जोड़ दो तो उलटा अर्थ हो जाता है। Direct डाइरेक्ट-सीधा, Indirect इनडाइरेक्ट-जो सीधा न हो, Known नोन-ज्ञात,Unknown अननोन-अज्ञात, Mount माउन्ट-चढना, Dismouut डिसमाउन्ट-उतरना, इस रीति से in इन अर्थात् नहीं है, come कम-आना, आमद Tax (टेक्स ) कर । भावार्थ यह हुआ कि जिस हालत में नामदनी न हो, उसमें जो टैक्स लगे वह "इनकमटैक्स" है ! इस पर यदि हमारे अंग्रेजी जाननेवाले पाठक यह कहें कि उटपटांग अर्थ किया है, और केवल नागरी-नागर समझें कि अन्य भाषा का अर्थ असंबद्ध है, हिंदी पत्र में क्यों लिखा ? उनको यो समझना चाहिए कि हमारी सरकार को ब्रह्मदेश की आमदनी बनायास हाथ लगी है, इसकी खुशी मे हम पर यह टैक्स ( बहुत खुश हुए तो ईंट फेंक मारी ) न्यायेन लगाया गया है। ___ कुछ हो म समझें वा न समझें, पर सरकार को किसी बात मे रोना चिल्लाना वा तर्क करना योग्य नहीं, केवल "डफ्रिनेच्छा बलीयसो" कहके संतोष करना चाहिए था, पर क्या करें, संपादक धर्म तो परम कठिन है। इसमे विना कुछ कहे उमंग की हत्या होती है। इससे कोई सुने वा न मुने, पर हम हाथ जोड़ के, पायं पड़के, दांत दिनाके, पेट खला के यही विनय करते हैं कि अस्तु, हुआ सो हुआ, हमे क्या, जहां और सब प्रकार के राजदंड हैं वहां एक यह भी सही, बरंच और हो ( परमेश्वर न करे ) तो वह भी सही पर इसकी तशखीस ( जांच ) जरा न्यायशील पुरुषो को सौंपी जाय सो भी बड़ी दया हो। हमने कई विश्वस्त लोगो से सुना है कि देहात में विचारो की वार्षिक आय पाँच सो भी नहीं है, उनको केवल उजले कपड़ो के कारण पांच हजार का पुरुष तजबीज करते हैं । यदि यही दशा रही तो भारत के गारत होने में कोई संदेह न होगा। हमारी सर्कार स्वयं विचार देखे कि अब हम वह नहीं रहे । खं० ३, सं० १२ ( १५ फरवरी ह० सं० २) • 'निबंध-नवनीत' से उद्धृत ।