पृष्ठ:प्रतापनारायण-ग्रंथावली.djvu/१९६

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किस पर्व में किसकी बनि आती है श्री रामनोमी में भक्तों की बन आती है। ब्रत केवल दुपहर तक का है, सो यों भी सब लोग दुपहर के इधर उधर खाते हैं। इससे कष्ट कुछ नही और आनंद का कहना ही क्या है, भगवानका जन्मदिन है । अनुभवी को अकथनीय आनंद है । मतलधी को भी थोड़े से शुभ कर्म में बहुत बड़ी आशा है। बैशाख में कोई बड़ा पर्व नहीं होता तो भी प्रातः स्नान करनेवालों को मना रहता है। भोर की ठंढी हवा, सो भी बसंत ऋतु की। रास्ते में यदि नीम का वृक्ष भी मिल गया तो सुगंध से मस्त हो गए । ऊपर से एक के एक चंद्राननी का दर्शन ! जेठ में दशहरा को गंगापुत्रों की चांदी है। गरमी के दिन ठहरे, बड़ा पर्व ठहरा, नहाने कौन न आवैगा और कहाँ तक न पसीजेगा। आषाढ़ी को चेला मुड़ने वाले गोसाइयों के दिन फिरते हैं। गरीब से गरीब कुछ तो मेंट धरेईगो! नागपंचमी में लड़कियो का, (परमेश्वर उनके माता पिता को बनाए रखे)। भादो में हलषष्ठी को भुजरियो के भाग जगते हैं, जिसे देखो वही बहुरी बहुरी कर रहा है। हमारे पाठक कहते होगे, जन्माष्टमी भूल गए। पर हम जब आधी रात तक निर्जल रहने की याद दिला देंगे, तब यकीन है कि वे भी सब आमोद प्रमोद भूल जायेंगे, क्योकि 'भूखे भगति न होय गुपाला ।' कुंआर का कहना ही क्या है ! प्रोहित जी पित्रपक्षों भर सबके पिता पितामहादि के रिप्रिजेंटेटिव (प्रतिनिधि) बने हुए नित्य शष्कुली खाते और गुलछरें उड़ाते हैं ! फिर दुर्गापूजा में बंगाली मासा पेट भर २ मांस खाते और तोंद फुलते हैं । कार्तिक में यों तो सभी को सुख मिलता है पर हमारे अटीबाजों को पौबारह रहती है। 'न हाकिम का खटका न रैयत का गस ।' सरे बाजार मतलब गर्गठना, विशेषतः दिवाली में तो देश का देश ही उनकी 'स्वार्थसाधिनी' समा का मेंबर हो जाता है ! पीछे से 'आकबत की खबर खुदा जाने', आज जो राजा, बाबू, नवाब,सर (अंग्रेजी प्रतिष्ठावाचक शब्द), हजरत, श्रीमान सब आप ही तो हैं ! अगहन और पूस हिंदुओं के हक में मनहूस महीने हैं। इनमें शायद कोई त्योहार होता हो । पर बड़ा दिन बहुधा इन्ही में होता है । इससे मेराफरोशों तथा हमारे गौरांग देवताओं का मुंह मीठा होता है ! ____ माघ में स्नानादि अखरते हैं, इससे धर्मकार्य ही कम होते हैं, परखें कहां से हों! पर हां बसंतपंचमी के दिन धोबिनों की महिमा बढ़ जाती है। घर २ श्री पार्वतीदेवो की स्थानाधिकारिणी बनी पुजाती फिरती है। हम नहीं जानते कि यह चाल कब से चली है और कौन उत्तमता सोच के चलाई गई है।