पृष्ठ:प्रतापनारायण-ग्रंथावली.djvu/४४६

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[ प्रतापनारायण-ग्रंथावली
 

४२२ [प्रतापनारायण-ग्रंथावली नहीं हैं, उनसे धोखा हो जाना असंभव नहीं है। बस, इतना स्मरण रखिएगा तो धोखे से उत्पन्न होने वाली विपत्तियों से बचे रहिएगा। नहीं तो हमे क्या, अपनी कुमति का फल अपने ही आंसुओ से धो और खा, क्योकि जो हिंदू हो कर ब्रह्मवाक्य नही मानता बह धोखा खाता है। खं० ९, सं० ९ ( अप्रैल, ह० सं० ९) विलायत यात्रा न जाने क्या दुर्दशा आई है कि लोगो को सब विलायती पदार्थ ही अच्छे लगते हैं। कदाचित् इसका कारण पश्चिमीय शिक्षा हो। लोग बाल्यावस्था में ही उन स्कूलो मे भेज दिए जाते हैं जहां वही अंगरेजी गिटपिट से काम पडे ।... .. चाहे कश्मीरी, खत्री आदि की भी संतति हो, पर अपने को ब्लंक कहने मे आदर समझें। चाहे महा. राष्ट्र वीरो के पुत्र भी हो पर वही कि हममे अंगरेजो की सी फुर्ती व हा से आई, इत्यादि । यह सब बातें लिखें तो लेख बहुत बढ जायगा। हमे तो केवल यह दिवाना है कि काल के परिवर्तन से जो लोग विलायत गमन के लिये कही वेद से लेकर पुराण, कुरान आदि के श्लोक वा आयत छांट छाट के छपा दें, कहो सस्त्र युक्तिया निकाल के यह सिद्ध कर दें कि धा की सी जलवायु कही नहीं है, वहा की रहन सहन, बोलचाल, शिष्टता मिष्टता कहीं नहीं। वहां हमारे पूर्वज तो सब जाते थे। बिना वहा के खाद्याच्छादन किए हमारी ब्लैक नेस ( श्यामता ) जा सकती है न गौराग देवो को भी पूजार्चा मिल सकती है । अरे भाई एक ब्राह्मण चाहे सो बके, पर तुम्हारी समझ मे नही आएगा। पर यदि हमी श्वेत लेप लगा लें और अपना नाम भी रेवरेंड मिस्टर P. Naroyegem Messur ए० बी० सी० डी० ई... .... जेड रख ले तो तुरंत आप हमारे बंगले पर आ के हमसे साक्षात् करके कर स्पर्श करने को उत्सुक होगे। बाप अपनी पाकेट से रूमाल निकाल के झुकेंगे कि हमारा बूट पोछ दें। पर हम कहेगे "ओ हट जाओ सूअर काला ।" झट से आप सिटपिट कर के हट जायगे । आप अंगरेजी मे किटपिट करके हमे शांत करना चाहोगे, पर हमे वही "सुनेटा नहीं हम चला जायगा टुम बाडमास" सूझेगा। लाख खुशामद करोगे हम एक न सुनेंगे। हम ओ कुछ लिखेंगे, आप यदि हिंदू हैं तो वेदवाक्य समझेंगे, यदि मुसलमान हैं तो आयातेकुरान से भी अधिक मानेंगे, अगर नेटिव क्रिश्चियन हैं तो अपने प्रीचिङ्गाज मे नीम के नीचे खड़े • 'निबंध-नवनीत' से उद्धृत ।