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(९८)
लोग अपनी प्यार की हुई बोली पर हुक्म चलाके उसकी स्वतन्त्र मनोहरता का नाश नहीं करने के। जो कविता के समझने की शक्ति नहीं रखते वे सीखने का उद्योग करें। कवियों को क्याः
पड़ी है कि किसी के समझाने को अपनी बोली बिगाड़ें।
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लोग अपनी प्यार की हुई बोली पर हुक्म चलाके उसकी स्वतन्त्र मनोहरता का नाश नहीं करने के। जो कविता के समझने की शक्ति नहीं रखते वे सीखने का उद्योग करें। कवियों को क्याः
पड़ी है कि किसी के समझाने को अपनी बोली बिगाड़ें।