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में रिया (फा़रसी में कपट को रिया कहते हैं) का बास हो।
लोगाई-जिसमें नौ गौओं की सी पशुता हो। बंगाली लोग
बहुधा नकार के बदले लकार और लकार के बदले नकार
बोलते हैं, जैसे नुकसान को लोक़्शान,निर्लज्ज को निरनज्ज।
जोरू-जो रूठना खूब जानती हो।
पुरुख-पुरु कहत हैं जेह में खेतु सींचा जाथै, और 'ख'
आकाश (संस्कृत में।) अर्थात् शून्य । भावार्थ यह हुआ
कि एक पानी भरी खाल, जिसके भीतर अर्थात् हृदय में
कुछ न हो । 'मूर्खस्य हृदयं शून्य' लिखा भी है।
मनसवा-मन अर्थात् दिल और शव अर्थात् मुरदा (आका-
रान्त होने से स्त्रीलिंग हो गया) भाव यह कि स्त्री के
समान अकर्मण्य, मुर्दा दिल, बेहिम्मत।
मर्द-मरदन किया हुआ, जैसे लतमर्द ।
खसम-अरबी में खिस्म शत्रु को कहते हैं ।
सन्तान-जो सन्त अर्थात् बाबा लम्पटदास की आन से जन्मे।
बालक-बा सरयूपारी भाषा में है' को कहते हैं। जैसे ऐसन
बा अर्थात् ऐसा ही है, और लक निरर्थक शब्द है। भाव
यह कि होना न होना बराबर है।
लड़का-जो पिता से तो सदा कहे लड़, अर्थात् लड़ ले और
स्त्री से कहे, का ( क्या आज्ञा है ?)
छोरा-कुलधर्म छोड़ देने वाला (रकार ड़कार का बदला)