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प्रबन्ध-पुष्पाञ्जलि
स्काट साहब उन पर बहुत विश्वास करते थे। लेफ्टिनेण्ट
ओवर्स को तो कप्तान स्काट का दाहिना हाथ कहना चाहिए।
कार्य-दक्षता के कारण अपने साथियों के वे बड़े ही प्रिय
पात्र बन गये थे। यह बात यहाँ पर विशेष रूप से उल्लेख
योग्य है कि ये दोनों अफसर भारतीय सेना विभाग से
सम्बन्ध रखते थे और इसी देश से जाकर इस विकट यात्रा
में सम्मिलित हुए थे। एवेंस साहब भी कप्तान स्काट के
विश्वासपात्र और साहसी सहायकों में थे।
विलायत वाले स्काट साहब और उनके साथियों का स्मारक बनाना चाहते हैं। लार्ड कर्जन इस काम के लिए जी तोड़ कर परिश्रम कर रहे हैं। इस चढ़ाई में कोई साढ़े चार लाख रुपया खर्च पड़ा है। वह सब चन्दे से भुगताया जायगा, जो लोग इस यात्रा में मरे हैं, उनके कुटुम्बियों को पेंशन भी दी जायगी। कर्म्मवीरों का आदर करना कर्म्मवीर ही जानते हैं।
[मार्च १९१३