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प्रबन्ध-पुष्पाञ्जलि

हुए, नोवा स्कोटिया के बेटन नामक अन्तरीप में सिडनी नाम का एक बन्दरगाह है। वहीं जाकर कमांडर पीरी जहाज़ पर सवार हुए। वहाँ जहाज़ ने कोयला लिया। खाने पीने का भी सामान यथेष्ट लादा। २६ जुलाई को जहाज़ ने सिडनी से लङ्गर उठाया। जहाज़ का नाम है "रूज़वेल्ट" । अमेरिका की संयुक्त रियासतों के सभापति रूज़वेल्ट के नामानुसार इसका नाम रक्खा गया है। २९ जुलाई को यह जहाज़ "डोमिनोरन" नामक बन्दरगाह में पहुँचा। वह जगह लबराडोर नाम के टापू में है । वही उत्तरी अमेरिका के पूर्व है ओर अङ्गरेज़ों के न्यूफौंड लैंड टापू के अन्तर्गत है। वहाँ से वह ग्रीन लैंड की तरफ उत्तर को रवाना हुआ। ७ अगस्त को वह ग्रीनलेंड के यार्क नामक अन्तरीप में पहुँचा और १६ को एटा नामक बन्दरगाह में। इस जहाज के साथ उसका एक मददगार भी था। उसका नाम है "यरिक"। यह जहाज़ ग्रीनलैंड के कितने ही स्थानों में, वहाँ के निवासियों तथा कुत्तों को लेने के लिए घूमता फिरा। जब यह काम हो चुका तब १३ अगस्त को उसने लाये हुए कुतों और आदमियों को "रूज़वेल्ट" के हवाले किया। एटे में “रूज़वेल्ट" कई दिन तक ठहरा। अपने प्रत्येक पुर्जे की परीक्षा करके उन्हें खूब साफ किया। जहाँ तक कोयला लाद सका "यरिक" से लिया। क्योंकि अब आगे और कोयला मिलने की आशा न थी। २००