ड्यूक आफ अबरूजी | १९०० | ८६-३४ |
राबर्ट ई॰ पीरो | १९०२ | ८४-१७ |
इससे पाठकों को मालम हो जायगा कि नानसेन ८६ अंश १४ मिनट तक ही जा सके थे; पर ड्यूक आभबरूजी, उनके बाद उनसे भी दूर अर्थात् ८६ अंश ३४ मिनट तक पहुँचे थे। अब एक अमेरिकन साहब ने इन ड्यूक महाशय को भी मात दिया है। आप का नाम है कमांडर पीरी। उत्तरी ध्रुव पर चाई करने के लिए आप १६ जुलाई सन् १९०५ को उत्तरी अमेरिका के न्यूयार्क शहर से रवाना हुए थे। कोई डेढ़ वर्ष बाद आपकी चढ़ाई का फल प्रकाशित हुआ है। उससे मालम हुआ है कि आप ८७ अश ६ मिनट तक गये। वहाँ से आगे नहीं जा सके। अथात् उत्तरी ध्रुव से कुछ कम ३ अंश इधर ही रह गये। यही बहुत समझा गया है। लोग धोरे धीरे भागे ही बढ़ रहे हैं। बहुत सम्भव है किसी दिन कोई ९० अंश तक पहुँच कर ध्रुव के दर्शनों से कृतकृत्य हो आवे। क्रमांडर पीरी ने उत्तरी ध्रुव के पास बर्फ से भरे हुए समुद्र में चलने लायक एक खास तरह का जहाज़ बनवाया। १६ जुलाई सन् १९०५ को वह जहाज़ न्यूयार्क से चला। उस पर सब मिला कर २० आदमी थे। वे सब कप्तान बार्टलेट की निगरानी में थे। पीरी साहब जहाज़ के साथ नहीं स्वाना हुए। उत्तरी अमेरिका के ठेठ पूर्व समुद्र से सरे