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प्रबन्ध-पुष्पाञ्जलि

से पीरी भी एक हैं। आप इसके पहले दो दफे ध्रुव की ओर जा चुके हैं। पिछली दफे आप ८७ अक्षांश तक पहुँच गये थे। उसका वर्णन इस लेख के प्रथमांश में दिया जा चुका है। वहाँ से उत्तरी ध्रुव सिर्फ ३ अक्षांश दूर था। वहाँ तक उनके पहले और कोई नहीं पहुँचा था। इससे उन्होंने एक दफे और कोशिश कर देखना चाहा। उन्होंने कहा, सम्भव है, इस दफे बाकी के ३ अंश भी तै हो जाय। कमांडर पीरी उत्तरी ध्रुव के आस पास के टापुओं में बहुत समय तक घूमे हैं। उनका तजरिबा कोई २३ वर्ष का है।

६ जुलाई १९०८ को पीरी न्यूयार्क से रवाना हुए। गोवा स्कोटिया में ब्रटन नाम का जो अन्तरीप है उसके पास सिडनी नाम के बन्दरगाह में १७ जुलाई को उनका जहाज पहुँचा। वहाँ से न्यूफौंड लैंड के किनारे किमारे चक्कर लगाते हुए वे डेविस नाम के मुहाने में पहुंँचे। वहाँ से सीधे उत्तर की ओर जाकर वे बेफिन की खाड़ी में दाखिल हुए। वहाँ से चल कर ग्रीनलैंड टापू के र्याक अन्तरीप के पास उन्होंने जहाज का लग्ड़र डाला। १ अगस्त को वे वहां से आगे बढ़े। समुद्र में जमे हुए बर्फ के टुकड़े इधर उधर बह रहे थे। बड़ी कठिनता से उन टुकड़ों को बचाते हुए उन्हें अपना जहाज आगे की ओर चलाना पड़ा। धीरे धीरे वे ग्राटलैंड में पहुँचे। वहाँ सेरिडन नामक अन्तरीप में उन्होंने अपना जहाज ठहराया।