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प्रबन्ध-पुष्पाञ्जलि

१७९४ और १८२२ ईस्वी में आपने विशेष पराक्रम दिखाया।

१७९४ ईसवी के स्फोट में पिघले हुए पत्थरों की एक धारा विस्यूवियस ने निकाली। वह १२ से ४० फुट तक गहरी थी। टोरड्यिल ग्रेको नामक नगर को तबाह करके वह ३५० फुट तक समुद्र में चली गई। समुद्र में प्रवेश के समय वह १२०० फुट चौड़ी थी। १८२२ ईसवी के स्फोट में धुर्वे के विशाल स्तम्भ १०००० फुट तक आकाश में उड़े। १८५५ में चटानों के टुकड़े ४०० फुट तक ऊँचे उड़े और स्फोट के समय ऐसी घोर गड़गड़ाहटें हुई कि लोगों का कलेजा काँप उठा। वे सब नेपल्स को भाग गये।

कुछ दिन से विस्यूवियस की ज्वाला वमन करने की शक्ति क्षीण सी हो गई थी। परन्तु यह क्षीणता जाती रही है। अब फिर आपने विकराल रूप धारण किया है। फिर आप आग, पानी, ईंट, पत्थर बरसाने लगे हैं। यह अद्भुत तमाशा देखने के लिए दूर दूर से लोग नेपल्प को जा रहे हैं। विस्यूवियस के पास एक यन्त्रशाला स्थापित है। वहाँ उसकी अग्नि लीला की दिनचर्य्या रक्खी जाती है और जो जो दृश्य दिखलाई पड़ते हैं उनका वैज्ञानिक विचार किया जाता है। १८८० ईसवी से वहाँ तार के रस्सों की रेल निकाली गई है। यह रेल विस्यूवियस के मुख से १५०