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पृष्ठ:प्रबन्ध पुष्पाञ्जलि.djvu/१७

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शिक्षा

ज़रूरी बात है। क्योंकि इन बातों से लड़कों के भावी सुख-दुःख का बहुत बड़ा सम्बन्ध है। इस तरह की बेपरवाही के कारण या तो लड़के बीमार रहा करते हैं, या उनकी बाढ़ रूक जाती है, या काम करने की शक्ति घट जाती है, या तरुण होने पर जितना बल उनके बदन में होना चाहिए उतना नहीं होता। इसका फल यह होता है कि कोई काम अच्छी तरह नहीं हो सकता। उसमें पूरी कामयाबी नहीं होती और लड़कों के भावी सुख में बाधा आती है। इसका कारण क्या है? हमारा अविचार, हमारी नादानी, हमारी बेपरवाही! और कुछ नहीं। लड़कों को जो एक ही तरह का और कम बलवर्द्धक खाना खिलाया जाता है वह क्या उनको सजा देने के इरादे से खिलाया जाता है? इस तरह का खाना खाने से, बड़े होने पर, उनका शारीरिक बल जरूर कुछ कम हो जाता है और पुरुषत्व के काम करने की योग्यता में भी थोड़ी बहुत न्यूनता जरूर आ जाती है। क्या लड़कों के लिए कोलाहलकारी और दौड़-धूप के खेल मना हैं? या बदन पर काफ़ी कपड़े न होने के कारण जाड़े की ऋतु में इस लिए वे बाहर नहीं निकलने पाते कि कहीं उनको सरदी न लग जाय? कुछ भी हो, पर इस तरह घर के भीतर बन्द रहने से उनके आरोग्य में जरूर बाधा आती है और उनकी शारीरिक शक्ति भी जरूर थोड़ी बहुत क्षीण हो जाती है। तरुण होने