सहना पड़ता है कितनी आपदाओं का सामना करना पड़ता है। लड़कपन में लड़के जिस तरह रक्खे जाते हैं और जिस तरह की शिक्षा उन्हें दी जाती है उसी के अनुसार जन्म भर उनको सुख दुःख मिलता है। यदि अच्छी शिक्षा मिली, यदि वे अच्छी तरह रक्खे गये, तो उन्हें जन्म भर सुख मिलता है, नहीं तो दुःख। पर जरा इस बात का तो ख़्याल कीजिए कि आज कल लड़के किस तरह पाले पोसे जाते हैं। इस समय हम लोग जिस तरह लड़कों को रखते हैं और जिस तरह की शिक्षा उन्हें देते हैं उसमें यदि एक गुण होता है तो बीस दोष होते हैं। इन बातों का असर हर घड़ी लड़कों पर पड़ता है। लड़कपन से लड़कों के पालन-पोषण और शिक्षण में अविचार से काम लेने और महत्व की बातों को दैव या भाग्य के भरोसे छोड़ देने से जो हानि होती है उसका अन्दाजा नहीं किया जा सकता। इस तरह का अविचार---इस तरह की बेपरवाही---आज कल यहाँ सब कहीं प्रचलित है। इन सब बातों पर ख़याल करने से जो हानि लड़कों को पहुँच रही है उसका थोड़ा बहुत अन्दाजा आपको जरूर हो जायगा। कोई इस बात का विचार नहीं करता कि पायदार मज़बूत और खूब गरम कपड़े पहने बिना लड़कों को सरदी में बाहर खेलने-कूदने देना और सरदी के कारण उनके हाथ पैरों का फटना, अच्छा है या नहीं। पर इसका विचार करना बहुत
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