पृष्ठ:प्रबन्ध पुष्पाञ्जलि.djvu/२१

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शिक्षा

अब देखिए, उसी पर एक ऐसे प्राणी के पालने पोसने और शिक्षित करने का भार आ पड़ा जिसकी शारीरिक और मानसिक शक्तियाँ प्रतिदिन बढ़ती रहती हैं। जरा इस नादानी पर तो ध्यान दीजिए कि जिस काम का उसे कुछ भी ज्ञान नहीं, जिसे वह बिलकुल हो नहीं जानती, उसीको अब उसे करना है। और, काम भी ऐसा जो उस विषय का पूरा पूरा ज्ञान होने पर भी, अच्छी तरह नहीं हो सकता। पर यही महा कठिन काम करने का बीड़ा, माँ के नये पद को पाने वाली इस युवती को उठाना पड़ा। ऐसी माँ को इतना कठिन काम करने में कहाँ तक कामयाबी हो सकती है, इसका फैसला पाठक ही करें। वह इस बात को बिलकुल नहीं जानती कि मनोवृत्तियाँ किस तरह की होती हैं? उनकी कैफियत क्या है? वे किस तरह बढ़ती हैं और किस तरह एक दूसरी के बाद पैदा होती हैं? उनका काम क्या है? उनका उपयोग कहाँ आरम्भ होता है और कहाँ समाप्त? वह यह समझती है कि कोई कोई मनोवृत्तियों सर्वथा बुरी हैं और कोई कोई सर्वथा भली। पर यह समझ उन वृत्तियों में एक के विषय में भी ठीक नहीं। यह खयाल बिलकुल ही गलत है कि कोई कोई वृत्ति सर्वथा बुरी और कोई कोई सर्वथा अच्छी होती है। फिर एक और बात भी ध्यान देने लायक है। जिस शरीर को पालने पोसने की जिम्मेदारी उस पर है उस