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प्रबन्ध-पुष्पाञ्जलि

अङ्ग का ज्ञान होता है उसी क्रम से शिक्षा भी होनी चाहिए। जिस चीज़ के विषय की शिक्षा दी जाय उस चीज़ के सृष्टि सम्बन्धी क्रम और नियम का जरूर ख़याल रखना चाहिए और उन्हीं के अनुसार लड़कों को सब बातें बतलाना चाहिए। जिन लड़कों ने कभी महासागर या पहाड़ या डमरूमध्य नहीं देखा उनके पढ़ने की किताबों के शुरू ही में उनकी परिभाषा आदि का देना क्रम और नियम के बिलकुल ही खिलाफ़ है। फिर, इन सब दोषों से बढ़ कर दोष, तोते की तरह, हर बात को रट कर याद कर लेने की आदत है। यह आदत बहुत ही बुरी है। इस आदत ने लड़कों की बुद्धि का सत्यानाश कर डाला है। देखिए इसका नतीजा क्या होता है। बच्चों की बुद्धि सञ्चालना में रोक टोक करने---उसे यथेच्छ न विचरण करने देने--और उनसे जबर्दस्ती पुस्तकें रटवाने से उनकी ज्ञानेन्द्रि याँबचपन ही में कुण्ठित होकर आगे बिलकुल ही मन्द हो जाती हैं। उनकी बुद्धि की तीव्रता जाती रहती है। जिन विषयों के समझने की योग्यता नहीं है उन्हें सिखलाने, और बिना किसी विषय को अच्छी तरह समझाये उसके सम्बन्ध के साधारण नियम या सिद्धान्त बतलाने से बच्चों की बुद्धि बेतरह गड़बड़ में पड़ जाती है। इस तरह के नियम या सिद्धान्त ठीक ठीक उनकी समझ ही में नहीं आते। जो जिस बात को जानता ही नहीं वह उसके