घट गई है। दुःख का विषय है कि युक्त-प्रदेश ही की जनसंख्या का अधिक ह्रास हुआ है। इस बार की गणना में युक्त-प्रदेश की संख्या १९०१ की अपेक्षा ४,९७,८४६ कम रही। इस का प्रधान कारण प्लेग का प्रकोप है। गया, नागपूर और इन्दौर की जनसंख्या भी इस वर्ष प्लेग के कारण बहुत कम हो गई।
रिपोर्ट के अन्त में गणना के कमिश्नर ने भिन्न भिन्न प्रान्तों के विषय में अपनी टिप्पणी प्रकाशित की है। उस से मालूम होता है कि गत दस वर्षों में किस प्रान्त की कैसी अवस्था रही और उसका क्या कारण था।
बङ्गाल के विषय में कहा गया है कि पहले चार वर्ष तक कृषि की दशा अच्छी रही। उस के बाद लगातार चार वर्षों तक फसल खराब होती गई। और, फिर पीछे दो वर्ष अच्छी उपज हुई। १९०६ में दरभङ्गा जिले में पहले भयङ्कर बाढ़ आई। पीछे पानी बिलकुल न बरसा। इस से उस साल वहाँ घोर दुर्भिक्ष पड़ा। १९०७ में बहुत जल्द वर्षा बन्द हो जाने के कारण बङ्गाल-प्रान्त भर में कहीं भी अच्छी फसल नहीं हुई। चार जिलों में लोगों को सहायता देने का प्रबन्ध करना पड़ा। १९०८ में फिर वही दशा हुई। इस का प्रभाव दस जिलों पर पड़ा। दो जिलों में तो दुर्भिक्ष पड़ गया। प्लेग का उपद्रव प्रति वर्ष होता ही रहा। बिहार के कितने ही