कार में पड़ा हुआ है। इस कारण गणकों ही को सब काग़ज़ात तैयार करने पड़ते हैं। कितने ही इन्यूमरेटर, अर्थात् गणक, भी बिना बताये काम करने के योग्य नहीं समझे जाते। अतएव काग़जात पहले ही से तैयार कराये गये थे। गणना की रात को केवल इतना ही काम हुआ कि सुपरवाइज़र लोगों ने अपने अपने हल्के में घूम कर काग़ज़ात के सही होने की जाँच कर ली। जहाँ कहीं कुछ कमी वेशी देख पड़ी वहाँ संशोधन कर दिया।
अभी तक काग़ज़ात की जाँच पूरी नहीं हुई। इसी से इस मनुष्य-गणना की व्यौरेवार रिपोर्ट प्रकाशित होने में विलम्ब है। परन्तु तब तक गणना के कमिश्नर ने एक साधारण रिपोर्ट प्रकाशित कर दी है। यद्यपि यह रिपोर्ट प्रामाणिक नहीं मानी जा सकती; काग़ज़ात की जाँच के बाद इस में शायद कुछ सुधार करना पड़े; तथापि पहले के अनुभव से प्रतीत होता है कि यह रिपोर्ट बहुत कुछ ठीक होगी। इस रिपोर्ट से मालूम हुआ कि भारतवर्ष की मनुष्य संख्या ३१,५०,०१,०९९ है। उस में ब्रिटिश राज्य की जन-संख्या २४,४१,७२,३७१ है। और देशी राज्यों की ७,०८,२८,७२८। १९०१ ईसवी की गणना से मिलाने से विदित होता है कि गत दस वर्षों में सब मिलाकर २,०६,४०,०४३ आदमी बढ़े हैं। परन्तु वृद्धि सब प्रदेशों नहीं हुई। कितने ही प्रदेशों की संख्या बढ़ने के बदले