जाता। राज़ोनामा कर लेना, किसी अन्य राष्ट्र का बीच में पड़ कर मेल करा देना, अथवा पञ्चायत द्वारा झगड़े का निपटारा हो जाना आदि बातों ही की, युद्ध के पहले, शरण लेनी पड़ती है । यदि इन से कार्य सिद्ध न हुआ तो वह राष्ट्र जिस का अपमान आदि होता है, बाहुबल का प्रयोग करता है। इस समय तक भी यथार्थ में युद्ध नहीं छिड़ता; शत्रु केवल तङ्ग किया जाता है। जहाजों द्वारा उस के बन्दरगाह और समुद्र तट घेर लिये जाते हैं; तथा उस के जहाजों और माल असवाब पर अधिकार कर लिया जाता है। जब कोई समुद्र-तट या बन्दरगाह घिरा होता है तब किसी अन्य राष्ट्र का भी कोई जहाज घेरे के बीच से नहीं निकल सकता। घेरे के बीच से बाहर निकलते अथवा भीतर जाते हुए पकड़े जाने पर वह जब्त कर लिया जा सकता है। यदि युद्ध न हुआ, मेल हो गया, तो जितने जहाज अथवा जो माल हाथ लगता है वह सब जिन का होता है उन को लौटा दिया जाता है। शत्रु के समुद्र में फिरने वाले उसके अथवा उसकी प्रजा के जहाज भी पकड़ लिए जाते हैं। इस काम को Reprisal अर्थात् बदला) कहते हैं। यह "बदला" दो प्रकार से लिया जाता है। राष्ट्र अपने शत्रु ओर उस की प्रजा के जहाजों और आदमियों को पकड़ने के लिए अपने कर्मचारियों को और गैर सरकारी लोगों को भी ऐसा ही करने के लिये अधिकार
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