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प्रबन्ध-पुष्पाञ्जलि

उक्त बन्दर में आने और एक नियत काल के भीतर वहाँ से सकुशल लौट जाने की आज्ञा मिल जाती है।

युद्ध आरम्भ हो जाने पर अन्य राष्ट्रों के जहाज़ों तक की बहुधा तलाशी ली जाती है। यह तलाशी इसलिए ली जाती है जिस में जहाज़ की यथार्थ राष्ट्रीयता का पता लग जाय और यह मालूम हो जाय कि उसमें किस प्रकार का माल है। और वह कहाँ जाता है। इस प्रकार की तलाशियाँ केवल युद्ध-काल ही में ली जाती हैं, शान्ति के समय में नहीं। तटस्थ राष्ट्रों के सैनिक जहाज़ कभी नहीं देखे जाते, हाँ उन के व्यापारी जहाजों की तलाशी बहुधा ली जाती है। तलाशी लेने के लिए जहाज़ पहले रोके जाते हैं। फिर उनका माल देखा जाता है कि वह ऐसा तो नहीं जिसका ले जाना युद्ध काल में वर्जित है। सामुद्रिक डाकुओं के जहाज़, अथवा ऐसे जहाज़ जिन पर डाकुओं के होने का सन्देह हो, किसी भी समय पकड़े जा सकते हैं। व्यापारी जहाज़ राष्ट्रीय सेवा के लिए सैनिक जहाज़ का रूप धारण कर लिया करते हैं। परन्तु जो व्यापारी जहाज़ घर से तो व्यापारी बन कर निकलता है और रास्ते में सैनिक बन जाता है उसकी हैसियत सामुद्रिक डाकुओं के जहाज़ ही की तरह समझी जाती है।