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प्रबन्ध-पुष्पाञ्जलि

बर्फ की बर्षा अधिक हो गई। हमारा जहाज़ बड़ी मुश्किल से आगे बढ़ने लगा! हम लोगों को भय हुआ कि कहीं नियत स्थान पर पहुंँचने के पहले ही जहाज़ न रुक जाय। परन्तु राम राम करके किसी तरह हम लोग वहाँ तक पहुँचे जहाँ हमने जाड़ा व्यतीत करने का निश्चय किया था। हमको मालूम था कि १२२ दिन की रात आने वाली है। इसलिए बहुत जल्द हमने ठहरने का प्रबन्ध किया और सब सामान ठीक करके जहाज़ का लङ्गर डाला।

ज्यों ही जहाज़ ठहरा और उसके चारों तरफ़ बर्फ का ढेर इकट्ठा हुआ; त्योंही हम लोगों ने बर्फ में बड़े बड़े बाँस गाड़ दिये और किनारे तक गाड़ते चले गये। फिर लम्बे लम्बे रस्से ले कर हमने उन बाँसों पर बाँधे। बिना यह किये हम लोगों को जहाज़ का पता लगाना मुश्किल हो जाता। तब किनारे पर एक झोपड़ा बनाया गया और उसमें थर्मामीटर और बारोमीटर इत्यादि, यन्त्र रक्खे गये।

सूर्य बिलकुल ही आकाश से लोप होने को हुआ। परन्तु उसका सम्पूर्ण तिरोभाव होने के पहले, एप्रिल के महीने में, कई दिनों तक २४ घण्टे का उषःकाल रहा। अस्ताचल गामी सूर्य की किरणों के सुन्दर रङ्ग बर्फ के संयोग से उतना मनोहर दृश्य दिखलाने लगे कि उनका वर्णन साधारण मनुष्य से होना असम्भव है। उस शोभा को चित्रित करने के लिए कालिदास या शेक्सपियर की