पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय खंड 1.djvu/१८५

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पचम दृश्य , ( यन-मण्डप में हरिश्चन्द्र, रोहित वसिष्ठ, होता इत्यादि बैठे ह । गुन शेफ यूप में बंधा हुआ ह । शक्ति उसे वध करने के लिए वटता है, पर सहसा रक जाता है) वसिष्ठ शक्ति, तुम्हारी शक्ति कहा है जो नही करता है बलि-कम, देर है हो रही। शक्ति पिता, आप इस पशु के निष्ठुर सात से भी कठोर हैं । जो आज्ञा यो दे रहे । ( शस्न फेंक कर- कम्म नही, यह मुझसे होगा धोर है। (प्रस्थान । अजीगत का प्रवेश) अजीगत और एक सौ गायें मुझको दीजिये, मैं कर दूंगा काम आपका शीघ्र ही। 1 .) प्रसाद वाङ्गमय ॥१२०॥