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पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय खंड 3.djvu/१२३

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प्रसन्नता हुई। वाथम के कमरे म विक्रय क चित्र और क्लापूर्ण सामान सजाय हुए थे। वह कमरा एक छोटी-सी प्रदर्शनी थी। दो-चार चित्रो पर विजय ने अपनी सम्मति प्रकट की, जिस मुनकर बाथम वहुत ही प्रसन हुला । उमन विजय से कहा--आप ता सचमुच इस कला के मर्मज्ञ है मरा अनुमान टोव ही था। ___ विजय न हमते हुए कहा-मैं चित्रक्ला म पडा प्रेम रखता है मैन बहुत म चित्र बनाय भी हैं । और महाशय यदि आप क्षमा कर ता मै यहाँ तक कह साता है कि इनम से कितन मुन्दर चित्र-जिन्ह आप प्राचीन और बहुमूल्य कहत है- अमली नहीं हैं। बाथम को कुछ क्रोध और पाश्चय हुआ। पूछा-आप इसका प्रमाण द सकते हैं ? प्रमाण ही नही में एक चित्र की प्रतिनिपि कर दृगा। आप देखने नही इन चित्रा के रग ही कह रहे है कि वे आज-कल के है--प्राचीन समय में वे बनते ही कहा थे आर मोने की नवीनता कैसी बोल रही है । देखिय न ! -~-इतना कहकर विजय ने एक चित्र बाथम के हाथ म उठाकर दिया । बाथम न उसे ध्यान म दखकर धीरे-धीर टयुन पर रख दिया और फिर हमत हुए विजय के दाना हाथ पकडकर बग से हिला दिया और कहा-आप मच कहत है । इम प्रकार स मैं स्वय ठगा गया और दूसरा का भी ठगता हूँ। क्या कृपा करक जाप कुछ दिन और मरे अतिथि हाग? आप जितन दिन मधुरा में रह मेर ही यहाँ रह-यह मेरी हार्दिक प्राथना है । आपक मित्र का कोई भी अमविधा न होगी। सरला हिदुस्तानी रोति म आप लिए मव प्रबन्ध करगी। ___तिका आश्चय म थी और घण्टी प्रसन हा रही थी। उसन मकत किया। विजय मन म विचारन लगा-क्या उत्तर दूं फिर सहमा उसे स्मरण हुआ कि वह मथुरा म एक निम्सहाय और कंगाल मनुष्य है, जव माता ने छोड दिया है, तब उस कुछ करक ही जीवन बिताना होगा । यदि यह काम कर मका, तो वह झटपट वाल उठा--आप जैस सज्जन | साथ रहन म मुझे बडी प्रसनता होगी परन्तु मरा थोडा-सा सामान है उम ले आना होगा। धन्यवाद । आपके लिए तो मग यही छोटा-सा कमरा आपिस का होगा और आपको मित्र मरी स्त्री के साथ रहेगी। ____ वीच नी मे मरा ने कहा-~-यदि मरी कोठरी म कष्ट न हो, ता वही रह लगी। घण्टी मुस्कराई । विजय न कहा । हाँ ठीक तो होगा। ककाल ६३