पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय खंड 3.djvu/२८७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

किन । ब्याह होता मधुवन वाबू का, हम लोगो को वह दिन आखा से देखने का मिलता किसका रे बुढिया | कहते हुए मधुबन ने आत हो उसकी पीठ थपथपा दी। ___राजकुमारी ने कहा-रोटी खान का अब समय हुआ है न ? मधु । तुम कितना जलाते हो। बहन । मैं अपन आलू और मटर का पानी वरा रहा था, आज मेरा खेत सिंच गया। --कहकर वह हँस पडा । वह प्रसत था, किन्तु राजकुमारो अपने पिता के वश का वह विगत वैभव मोच रही थी, उनका हंसी न आई। तितली २५६