पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय खंड 3.djvu/४१३

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आवश्यकता हो तो बैल खरीद लेना। तुम देखा खेती का काम, और मैं पढाई करूंगी। हम लोगा का इस भीषण ससार से तब तक लडना होगा, जब तक व लौट नही आते। फिर ठहर कर तितली न कहा-जी मिचलाता है, थोडा जल दो जीजी । अन्त सत्वा तितली के उस उत्साह भर पोले मुंह का राजा आश्चर्य स दख रही थी। मलिया ने आकर उसका पैर छू लिया । बनजरिया में दिया जल उठा। तितली: ३६६