पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय खंड 3.djvu/४५१

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शैला की तत्परता से धामपुर का ग्राम-सघटन अच्छी तरह हो गया था। इन्ही कई वर्षों में धामपुर एक कृषि प्रधान छाटा-सा नगर बन गया । सडके साफ-सुथरी, नालो पर पुल करघो की बहुतायत, फूलो के खेत, तरकारियो की क्यारिया, अच्छे फलो के वाग-वह गाव कृपि-प्रदर्शनी बन रहा था 1 खेतो के सुन्दर टुकडे बडे रमणीय थे। कोई भी किसान ऐसा न था, जिसके पास पूरे एक हल की खेती के लिए पर्याप्त भूमि नही थी । परिवर्तन म इसका ध्यान रखा गया था कि एक खत कम-से-कम एक हल से जोतने-बोने लायक हो । पाठशाला, बक और चिकित्सालय तो थे ही, तितली की प्रेरणा से दो-एक रात्रि-पाठशालाएं भी खुल गयी थी। कृपको क लिए कथा के द्वारा शिक्षा का भी प्रवन्ध हा रहा था । स्मिय उस प्रान्त मे बूढा बावा' के नाम से परिचित था । उसके जीवन म नया उल्लास और विनादप्रियता आ गई थी । हँसा हँसाकर वह ग्रामीणो को अपन सुधार पर चलने के लिए बाध्य करता। हां, उसन ग्रामीणा म अखाडे और सगीत-मडलियो का भी खूब प्रचार किया। वह स्वय अखाड जाता गान-वजाने में सम्मिलित हाता, उनके रोगी हान पर कटिबद्ध होकर सेवा करता । युवको म स्वय-सवा का भाव भी उसने जगाया। धामपुर स्वर्ग बन गया । इन्द्रदेव न ता माँ के लौटा देने पर भी उसकी आय अपन लिए कभी नहीं ली। शैला के सामने धामपुर का हिसाव पड़ा रहता । जिस विभाग में कमी होतो, वही खर्च किया जाता । वह प्राय धामपुर आया करती । नन्दरानी की प्रेरणा से शैला एक चतुर भारतीय गृहिणी बन गई थी । इन्द्रदेव के स्वावलम्बन मे वह अपना अश ता पूरा कर ही देती । बैरिस्टरी की आय, उन लोगो के निजी व्यय के लिए पर्याप्त थी। ___और तितली ? उसके और घेत वनजरिया से मिल जान पर बीसा बोघे का एक चक हो गया था, जिसम भट्ठा की जगह बराबर करके धान की क्यारी बना दो गई थी। उसका बालिका विद्यालय स्वतत्र और सुन्दर रूप से चल रहा था। दो जाडी अच्छे बेल, दो गाय और एक भैंस उसकी पशुशाला में थी। साफ तितली १२७