पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय खंड 3.djvu/४९६

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अग्निमित्र उसके पीछे-पीछे चला। कालिन्दी उसे मधुर प्रणय-दृष्टि से एकटक देख रही थी। अन्धकार मे प्रहरियो स बचता जब अग्निमित्र घर पर आया, तो उसक मस्तिष्क जैसे विकल हो रहा था । वह शैया पर पडते ही, इरावती और कालिन्दी की तुलना करता हुआ थकावट की नीद म सो गया।