पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय रचनावली खंड 5.djvu/१८

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अजातशत्रु और उदयाश्व के बीच में दर्शक नाम के किसी राजा.के होने का विरोध करते हैं। कथा-सरित्सागर के अनुसार प्रद्योत ही पद्मावती के पिता का नाम था। इन सब बातों को देखने से यही अनुमान होता है कि पद्मावती बिम्बिसार की बड़ी रानी कोसला ( वासवी ) के गर्भ से उत्पन्न मगध की राजकुमारी थी। नवीन उन्नतिशील राष्ट्र मगध जिसने कौरवों के बाद महान् साम्राज्य भारत में स्थापित किया, इस नाटक की घटना का केन्द्र है। मगध को कोसल का दिया हुआ, राजकुमारी कोसला ( वासवी ) के दहेज में काशी का प्रान्त था, जिसके लिए मगध के राजकुमार अजातशत्रु और प्रसेनजित् से युद्ध हुआ। इस युद्ध का कारण, काशीप्रान्त का आय-कर लेने का संघर्ष था। 'हरितमात', 'बद्धकीसूकर', 'तच्छ सूकर' जातक की कथाओं का इसी घटना से सम्बन्ध है। ____ अजातशत्रु जब अपने पिता के जीवन में ही राज्याधिकार का भोग कर रहा था और जब उसकी विमाता कोसलकुमारी वासवी अजात के द्वारा एक प्रकार से उपेक्षित सी हो रही थी, उस समय उसके भ्राता ( कोसलनरेश ) प्रसेनजित् ने उद्योग किया कि मेरे दिये हुए काशी-प्रान्त का आय-कर वासवी को ही मिले। निदान, इस प्रश्न को लेकर दो युद्ध हुए। दूसरे युद्ध में अजातशत्रु बन्दी हुआ। संभवतः इस बार उदयन ने भी कोसल को सहायता दी थी। फिर भी निकटसम्बन्धी जानकर समझौता होना अवश्यम्भावी था, अतएव प्रसेनजित् ने मंत्री चिरस्थायी करने के लिए, और अपनी बात भी रखने के लिए, अजातशत्रु से अपनी दुहिता बाजिरा कुमारी का ब्याह कर दिया। अजातशत्रु के हाथ से उसके पिता बिम्बिसार की हत्या होने का उल्लेख भी मिलता है। 'थुम जातक-कथा' अजातशत्रु के अपने पिता से राज्य छीन लेने के सम्बन्ध में, भविष्यवाणी के रूप में, कही गयी है। परन्तु बुद्धघोष ने बिम्बिसार का बहुत दिनों तक अधिकारच्युत होकर बन्दी की अवस्था में रहना लिखा है। और, जब अजातशत्रु को पुत्र हुआ, तब उसे 'पैतृक स्नेह' का मूल्य समझ पड़ा। उस समय वह स्वयं पिता को कारागार से मुक्त करने के लिए गया; किन्तु उस समय वहाँ महाराज बिम्बिसार की अन्तिम अवस्था थी। इस तरह से पितृहत्या का कलंक भी उस पर आरोपित किया जाता है; किन्तु कई विद्वानों के मत से इसमें सन्देह है कि अजात ने वास्तव में पिता को बन्दी बनाया था या मार डाला। उस काल की घटनाओं को देखने से प्रतीत होता है कि बिम्बिसारं पर गौतम बुद्ध का अधिक प्रभाव पड़ा था। उसने अपने पुत्र का उद्धत स्वभाव देखकर जो कि गौतम के विरोधी देवदत्त के प्रभाव में विशेष रहता था, स्वयं सिंहासन छोड़ दिया होगा। इसका कारण भी है। अजातशत्रु की माता चेल्लना (छलना) वैशाली के राजवंश की थी, जो जैन तीर्थकर महावीर स्वामी की निकट-सम्बन्धिनी भी १८: प्रसाद वाङ्मय