पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय रचनावली खंड 5.djvu/२७१

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व्यक्तित्व एवं कृतित्व सारिणी पारिवारिक पक्ष आनन्दमङ्गल वैक्रमाब्द वयस व्यक्तित्त्व पक्ष १९४६ • आविर्भाव पांचवे मास मे अन्नप्राशन के समय अन्य वस्तुओ को छोड कलम उठा लेना। १९४९ ३ मंगमर्मर के धवल नन्दी से खेलना काशी, केदारक्षेत्र; विन्ध्यक्षेत्र, और महा- काली : कलकत्ता में सात वर्ष के वय तक चड़ा-कर्म। १९५१ श्रीपंचमी ५ बाबा शैवध्वज के द्वारा अक्षरारम्भ। ततः माग्टर मोहिनीलाल 'रस- मयसिद्ध' की घरेलू पाठशाला मे हिन्दी और काव्यशास्त्र की शिक्षा। 'रसमयसिद्ध' की अनेक साहित्यिक कृतियों 'सिद्धमनोरंजन का प्रभाव की दृष्टि से महत्व । मान- वीय वृत्तियों-काम-क्रोधादि का उसमें रूपकात्मक चित्रण है। इस बीज का पल्लवन कामना नाटक में हुआ जिसका वृहत्तम परिप्रेक्ष्य लिए कामायनी में विकास हुआ। प्रबोध चन्द्रोदय और संकल्प सूर्योदय का अध्ययन इस दिशा के संकेत में सहकारी हुआ। अन्य कृतियों मे छनती-छनती कैसे एक घनीभूत प्रस्तुति कामायनी में साराशतः हुई यह विचाथं है : और, समस्त प्रसाद व्यक्तित्व एवं कृतित्व सारिणी : १७१