पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय रचनावली खंड 5.djvu/७२

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साथ-ही-साथ कुल पंजाब और सौराष्ट्र पर चन्द्रगुप्त का अधिकार हो गया। सिल्यूकस बहुत शीघ्र लोटने वाला था। ३०१ ई०पू० में होने वाले युद्ध के लिए, उसे तैयार होना था, जिसमें कि Ipsus के मैदान में उसने अपने चिरशत्रु आण्टिगोनस को मारा था । चन्द्रगुप्त को इस ग्रीकविप्लव ने बहुत सहायता दी और उसने इसी कारण मनमाने नियमों से सन्धि करने के लिए सिल्यूकस को बाध्य किया। ___पाटण आदि बन्दर भी चन्द्र गुप्त के अधीन हुये तथा काबुल में सिल्यूकस की ओर से एक राजदूत का रहना स्थिर हुआ । मेगास्थनीज' ही प्रथम राजदूत नियत हुआ। यह तो सब हुआ, पर नीति-चतुर सिल्युकस ने एक और बुद्धिमानी का कार्य यह किया कि चन्द्रगुप्त से अपनी सुन्दरी कन्या का पाणिग्रहण करा दिया, जिमे चन्द्रगुप्त ने स्वीकार कर लिया और दोनों राज्य एक मम्बन्ध-मूत्र में बंध गये जिस पर संतुष्ट होकर चन्द्रगुप्त ने ५०० हाथियों की एक सेना सिल्यूकस को दी और अब चन्द्रगुप्त का राज्य भारतवर्ष मे सर्वत्र हो गया । रुद्र दामा + लेख से ज्ञात होता है कि पुष्पगुप्त उग प्रदेश का शासक नियत किया गया था जो सौराष्ट्र और मिन्ध तथा राजपूताना तक था । अब चन्द्रगुप्त के अधीन दो प्रादशिक और हुए, एक तक्षशिला मे दूमरा सौराष्ट्र में । इस तरह से अध्यवसाय का अवतार चन्द्रगुप्त प्रबल पराक्रान्ता राजा माना जाने लगा और ग्रीस, मिस्र, मीरिया इत्यादि के नरेश उसकी मित्रता मे अपना गौरव समझते थे। उत्तर मे हिन्दुकुश, दक्षिण मे पाडुचेरी और कनानूर, पूर्व मे आसाम और पश्चिम मे सौराष्ट्र-समुद्र तथा वाल्हीक तक चन्द्रगुप्त के राज्य की सीमा निर्धारित की जा सकती है। चन्द्रगुप्त का शासन : गंगा और शोण के तट पर मौर्य-राजधानी पाटलीपुत्र बसा था। दुर्ग पत्थर, ईट तथा लकड़ी के बने हुये सुदृढ़ प्राचीर से परिवेष्टित था। नगर ८० स्टेडिया लम्बा और २० स्टेडिया चौड़ा था। दुर्ग मे ६४ द्वार तथा ५७० बुज थे। सौध-श्रेणी, राजमार्ग, मुविस्तृत पण्य-वीथिका से नगर पूर्ण था और व्यापारियो की दुकाने अच्छी प्रकार सुशोभित और मज्जित रहती थी। भारतवर्ष की केन्द्र-नगरी कुसुमपुरी वास्तव मे कुसुमपूर्ण रहती थी। सुसज्जित तुरंगों पर धनाढ्य लोग प्रायः राजमार्ग १. मेगास्थनीज़ हिरात के क्षत्रप माइटियम के पास, रहा करता था। २. पुष्पगुप्त ही ने उस पहाड़ी नदी का बोध महाराजा चन्दगुप्त की आज्ञा से इस लिए बनाया कि खेती को बहुत लाभ होगा उस बड़ी झील का नाम सुदर्शन रक्खा । (स्कन्दगुप्त के आदेश से चक्रपालित ने इसी सुदर्शन तटाक का जीर्णोद्धार कराया था--सं०) ७२: प्रसाद वाङ्मय