पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय रचनावली खंड 5.djvu/९

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गत-कलि १७९५ तक है। कलि-संवत् ई० सन् से ३१०१ वर्ष पहले आरम्भ होता है। १०१ में से १७३४ घटा देने से प्रकट होता है कि ईसा से १३६७ वर्ष पहले राजतरङ्गिणी के मत से अशोक हुआ। अशोक आदि दो-चार प्रसिद्ध और ऐतिहासिक राजाओं का समय १५० वर्ष उन माने हुए १२६६ विस्मृत वर्ष मे से निकाल कर यदि वह काल्पनिक ११०० वर्ष इम १३५७ बी० सी० मे से निकाल दिया जाय तो २६७ बी० सी० अशोक का राज्यकाल आधुनिक ऐतिहासिकों के मत से मिलता-जुलता-सा दिवाई पड़ता है। ____एक लेखक महोदय ने राजतरंगिणी अशोक को अशोक मौर्य न होने का कोई प्रमाण न देकर केवल ११०० वर्ष का अन्तर देखकर उसे एक दूमरा अशोक मान लेना चाहा है जिसका कि काई प्रमाण नहीं है और जब कि उसके बाद पांचछ. राजाओं के अनन्तर कनिष्क का नाम आता हे जिसे कि अब ऐतिहासिक लोग प्रसिद्ध कुशान सम्राट मानते है और नागार्जन का उसका समकालीन होना बौद्ध लोग भी स्वीकार करते है जैसा कि गजतरगिणी में भी मिलता है, तब हम इस राजतरंगिणी के १३६७ बी० सी० वाले अशोक को इतिहाग मिद्ध २६७ बी० सी० का क्यों न नान ले। क्योंकि मेरी समझ मे विस्मृा गजाओं का ११०० वर्ष का समय ही यह साग भ्रम डाले हुये है। इतिहाम को, प्रावीनता-मम्पन्न करने का प्रयत्न-रूपी ११०० वर्ष का काल्पनिक समय निकाल देने से यह इतिहास क्रम से चला चलेगा। आगे भी चलकर क्षति-पूर्ति स्वरूप १०० मे लेकर ३०० वर्ष काल्पनिक समय राजतरंगिणी मे कई जगह मिलेगे। जैम रणादित्य का ३०० वर्ष तक राज्य करना। इसी रणादित्य के बाद विक्रमादित्य और बालादित्य का नाम आता है जिनका समय ४९५ और ५३७ बी० सी० मिलता है। ऊपर के विवरण से निर्धारित किया गया है कि विस्मृत राजाओ का काल्पनिक काल (जैसा कि अशोक और कनिष्क का समय-मिलान करने से स्पष्ट होता है) मनगढन्त-सा है। राजतरंगिणी के मत से इस नाटक के प्रधान पात्र नरदेव का गज-काल वि० पू० ९७० है। उसमें ५७ वर्ष जोड देने मे १८२७ ई.. पू० समय निकलता है। वह काल्पनिक १२०० वर्ष का काल घटा देने से यह घटना ईमा की पहली शताब्दी की प्रतीत होती है या इससे एक या आधी शताब्दी और पीछे की हो सकती है। इस प्रकार यह घटना सतत १८०० वर्ष पहले की है। उस समय की रीतिनीति का परिचय होना कठिन तो है, फिर भी जहाँ तक हो सका है उसी काल का चित्रण करने का प्रयत्न किया गया। पात्रों में प्रेमानन्द और महागिगल आदि दो-एक कल्पित है, जो मुख्य काल के विरुद्ध नही। विशाख-परिचय : ९