पृष्ठ:प्राकृतिक विज्ञान की दूसरी पुस्तक.djvu/११

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होता है और ऐसा जान पड़ता है मानों यह तीन टुकड़ों से मिलकर बना है । मक्खी जो कुछ खाती है वह उसके शरीर के इसी भाग में जाता है और इसीलिये यह उस का पेट कहलाता है।

मक्खी अपने अंडे गोबर, धूरे या किसी और ऐसी ही मैली और गंदी जगह में देती है । इसके अंडे बहुत छोटे, लम्बे और सफ़ेद होते हैं । मक्खी बहुधा गंदी, मीठी और चिपकनी वस्तुओं पर बैठती है और जब तुम अपने खाने की वस्तुओं को खुला रखते हो तो वह उन पर भी आ बैठती है । अब तुम इस बात पर ध्यान करो कि जो मक्खी गोबर और ऐसी ही दूसरी मैली वस्तुओं पर बैठती है और वही मक्खी फिर तुम्हारे खाने पर भी बैठती है, तो ऐसी दशा में तुम्हारा खाना कभी शुद्ध नहीं रह सकता और ऐसा खाना तुमको कभी नहीं खाना चाहिये।

अब मैं तुमको यह बतलाता हूं कि मक्खियां बीमारी किस प्रकार फैलाती है। देखो एक मनुष्य तुम्हारे पड़ोस में रहता है और उसको 'दिक' की बीमारी है। मक्खियां आकर उसकी सब वस्तुओं पर बैठती हैं और फिर वही मक्खियां आकर तुम्हारे कपड़ों और खाने की वस्तुओं पर बैठती हैं और इस तरह से वे उस रोगी के शरीर के




Courtesy Dr. Ranjit Bhargava, Desc. Naval Kishore. Digitized by eGangotri