पृष्ठ:प्राकृतिक विज्ञान की दूसरी पुस्तक.djvu/१४

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यह छोटा कीड़ा सांस लेने के लिये पानी से बाहर आता है और फिर भीतर चला जाता है । यह कीड़ा पूंछा की ओर एक नली द्वारा सांस लेता है । यदि तुम ध्यान से देखो तो तुमको ऐसा मालूम होगा कि कीड़ा बल लटका हुआ । इसका क्या कारण है ?

इसके लगभग १२ घंटे बाद सैकड़ों कीड़े पानी में बिलबिलाते हुए दिखाई देते हैं। यदि उस पानी में उनके खाने पीने को काफ़ी सामान होता है, तो वे बहुत जल्दी पनपते हैं और लगभग १२ दिन में इनकी सूरत बदल जाती है। और यदि पानी ऐसा नहीं होता है तो ये महीने भर तक ऐसे ही बने रहते हैं।

लगभग १२ दिन बाद यह कीड़ा अपनी सूरत बद- लता है । इस रूप में भी वह हवा में सांस लेता है, पर इसकी पूंछ छोटी हो जाती है और पानी में नीचे को रहती है। इस दशा में इस कीड़े के दो छोटे २ पतवार से निकल आते हैं, जो उसे पानी के ऊपर रहने में सहायता करते हैं । इसकी पीठ पानी के ऊपर निकली रहती है और सिर नीचे को मुड़ा रहता है । ध्यान से देखने से तुमको इसकी पीठ में दोनों ओर दो नली सी पानी के बाहर निकली हुई दिखाई देंगी । इन्हीं नलियों से



Courtesy Dr. Ranjit Bhargava, Desc. Naval Kishore. Digitized by eGangotri