औक्सिजन बड़ी आवश्यक है। बिना औक्सिजन के कोई प्राणी या वृक्ष जीवित नहीं रह सकते। यदि तुम यह बात देखना चाहो तो इस गिलास की बची हुई वायु में एक मक्खी डाल दो और मक्खी उसमें थोड़ी देर में मर जवोगी।
यह वायु जो अब गिलास में है 'नाइट्रोजन' कहलाती है। वायु में १/५ भाग औक्सिजन और ४/५ भाग नाइट्रोजन होती है।
अब तुम इस गिलास में थोड़ा सा चूने का पानी डाल कर हिलायो। पानी सफ़ेद हो जावेगा। इसका क्या कारण है? इसका केवल यही कारण है कि मोमबत्ती के जलने से 'कार्बन गैस' निकली और वह औक्सिजन के साथ मिलकर 'कार्बन डाइ-औक्साइड' बन गई। इसी गैस ने चूने के पानी को सफ़ेद कर दिया है। प्रत्येक वस्तु से जलने पर 'कार्बन डाइ-ऑक्साइड' निकलती है।
तुम थोड़ा सा चूने का पानी लो और एक नली द्वारा उसमें मुंह से फूक दो। थोड़ी देर में पानी सफ़ेद हो जावेगा। इसका क्या कारण है? इसका यही कारण है कि हमारे मुंह से 'कार्बन डाइ-औक्साइड' निकलती है।
जब हम लोग सांस लेते हैं तो वायु हमारे भीतर जाती है। इस वायु की औक्सिजन हमारे पेट में काम आती है और 'कार्बन डाइ-औक्साइड' बाहर निकलती है।