पृष्ठ:प्राचीन चिह्न.djvu/४

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हो सकती हैं। इसी से ऐसी पुस्तकों की आवश्यकता है जिनमें ऐसे वर्णन पढ़ने को मिल सकें।

इस पुस्तक मे क़ुतुब-मीनार पर भी एक लेख है। उसमें इस बात का भी विचार किया गया है कि वह इमारत कब बनी, किसने बनवाई और वहाँ पर पहले कोई हिन्दू-मन्दिर या इमारत थी या नहीं।

संग्रह के पिछले चार लेखों का सम्बन्ध दूसरे देशों से है। पर जो कुछ उनमें है वह मनोरञ्जक और कौतूहल-वर्द्धक होने के सिवा, अन्य दृष्टियों से भी, ज्ञानप्रद अतएव जानने योग्य है।

संग्रह में लेखों को स्थान दिये जाने का क्रम, लिखे जाने के समय के अनुसार, नहीं। जिन लेखों का विषय परस्पर कुछ मिलता-जुलता है वे पास-पास रक्खे गये हैं। अन्य देशों से सम्बन्ध रखनेवाले पिछले चारों लेखों को अन्त में स्थान दिया गया है।

दौलतपुर (रायबरेली)

१५ नवम्बर १९२७

महावीर प्रसाद द्विवेदी


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