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देवगढ़ की पुरानी इमारत


ललितपुर प्रान्त की इन पुरानी इमारतों पर एक रिपोर्ट लिखी है और उसी के साथ १३ नकरो और ९८ चित्र भी दिये हैं। उनको, कोई दस वर्ष हुए, गवर्नमेट ने प्रकाशित भी कर दिया है। यह लेख लिखने में हमको उससे बडो सहा- यता मिली है।

इंडियन मिडलैंड रेलवे की जो शाखा झॉसी होकर बम्बई को गई है, ललितपुर उसी पर है। वहाँ रेलवे स्टेशन है। ललितपुर से दक्षिण, १० मील पर, एक स्टेशन जाख- लौन है। वहीं से देवगढ़ को रास्ता गया है। जाखलौन से देवगढ़ कोई ५ मील है। हम, अपने मित्रों के साथ, जाख. लैौन उतरे और स्टेशन-मास्टर तथा पुलस के सब-इन्स्पेकृर की सहायता से बैलगाड़ियों पर वहाँ से देवगढ़ के लिए रवाना हुए। देवगढ़ जाने का रास्ता पहाड़ो घाटियों के बीच से है। इसलिए, यदि कुछ सामान साथ हो तो, बैलगाड़ियों के सिवा और किसी सवारी से काम नहीं चल सकता। देवगढ़ के पास पहुँचकर हमने देखा कि उसका पुराना किला एक पहाड़ी के ऊपर बना था। वह अब नामशेष हो गया है। किले की बाहरी दीवारे तक गिरकर, पहाड़ी के चारो तरफ़, ऊँचे-ऊँचे .घुस्स से हो गये हैं। उनको देखने से यह अनुमान किया जा सकता है कि अपने समय मे यह किला बहुत बड़ा और बहुत मज़बूत रहा होगा। पहाड़ो के ऊपर, किले के भीतर, गहन जङ्गल है, जिसमे रीछ, भेड़िये,