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पृष्ठ:प्राचीन पंडित और कवि.djvu/११०

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प्राचीन पंडित और कवि

१२४ प्राचीन पंडित और कवि "इति श्रीपादशाहश्रीश्रमव्यरजलालुद्दीनसूर्यसहस्रनामा. ध्यापकश्रीशनञ्जयतीर्थफरमोचनाधनेकसुस्तविद्यालयमहोपा. व्यायश्रीभानुचन्द्रगणितच्छिप्याप्टोत्तरशतावधानसाधकप्र- मुदितपादशाहश्रीश्रकचरप्रदत्तनुशफहमपदाभिधान महोपा. ध्यायधीसिद्धिचन्द्रगणिविरचितायां कादम्बरीटीकायामुत्तर- राण्डटीका समाप्ता। इससे मालूम हुआ कि सिद्धिचंद्र के शतावधान से प्रसन्न । __ होकर अकसर ने उन्हें खुशफहेम को उपाधि से भूपित किया धा। इससे यह भी विदित हुआ कि भानुचंद्र ने अकार को सूर्यसहस्रनाम पढ़ाया था और शत्रुजय तीर्थ के यात्रियों को जो कर देना पड़ता था उसे भी उन्होंने अफवर से माफ करा दिया था। परतु हीरविजय सूरि के परामर्श से ही भानुचंद्र ने यह काम किया था। इसके लिए उन्हें काश्मीर जाना पड़ा था। यह वात १५६३ ईसपी की है। इसके बाद विजयसेन सूरि को भी बुलाकर अकबर ने 'अपने यहाँ रस्खा। अनेक धार्मिक विपयों में उनसे अकयर ने वार्तालाप किया। उस समय वहाँ एक प्रकार का धार्मिक सम्मेलन-सा था । अनेक विद्वान् राजधानी में उपस्थित थे। उनसे विजयसेन रि का शास्त्रार्थ हुश्रा। उन्होंने ३६३ विद्वान् प्रतिवादियों का पराभव किया । उनकी निद्वत्ता पर मुग्ध होकर अकवर ने उन्हें स्वामी की पदवी