पृष्ठ:प्राचीन पंडित और कवि.djvu/१११

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हैरविजय सूरि

दी और विजयरत ने भानुचंद्र को उपाध्याय की पदवी । इस पदवीदान का जलसा बड़ी धूमधाम से हुआ । कृपारसफोश के कर्ता का कथन है कि इस उपलक्ष्य में शेख ननुतफरत ने ६०० रुपये और कितने ही घोड़े आदि दिरे-

शेषो रुपमपटगती न्यतिकर तमाचदानादिमिः। सन् १५८७ ईमपी में नीरविजय नि चार महीने पाटन में रहे । १४ में शाह मोपर्गिक तेजपाल पा प्रदान की हा सुपार्यभार अनंत को मूर्तियों की उन्दाने प्रतिष्ठा कराई। १५६० में इसी तेजपाल की प्रार्थना पर शत्रुजय तीर्थ में सूमिदोदय ने सारीचर का मशिनलिने पी धर्मरिया का समापन किया। पासो पाद में चार नांधों में पर्यटन और निधार पर पर पय में रिदिप गरि, १४६. मित्री में, गरीबोर दिया। मादीम्या पेमरिमें पटुत सपा शिया-सेर, माया , पर भो गिगाहोता Tarपार में पति का पड़ा मा IT यि में पpिarसा में सं Amirritirat poraire पगाग्राहिमा -in rai Par:rramin Ent मात्र Trammar, mar ji